Tuesday 13 September 2011

       ~ किरीट सोमैया  ~                                                                                                                      इन्सान अच्छा या बुरा नहीं होता उसकी सोच अच्छी या बुरी होती है ये बात पिछले कुछ दिनों में हमने बहुत अच्छे से देखी. और जब बात सोच की चल ही निकली है तो कुछ सोच ही लिया जाय.                           स्पिक एशिया का सोचना और कहना है हम पैसा देने को तैयार है मिडिया और कुछ भ्रष्ट नेता ये सोचते है जब पैसे की गंगा बह ही रही है तो इसमें हम भी डुबकी लगा ही ले लगाने का मौका नहीं मिल रहा है तो अपनी गन्दी सोच के अनुसार उसमे कुछ अड़ंगे लगा दिए बिना ये सोचे की उनकी इन हरकतों से बाकि लोगो का क्या होगा और बाकि लोगो का क्या होगा इस बात को वे सोच भी नहीं सकते है क्योकि उनकी सोच ही गन्दी है अच्छी होती तो वे बजाये अडंगा लगाये स्पिक एशिया को सहारा देते और बताते आप की कुछ बाते नियम के विरुद्ध है यदि आप नियम से चलना चाहे तो हम आपकी मदद करेंगे मगर ऐसा नहीं हुआ कारण सोच.!!                                              
आज किरीट सोमैया को क्या मिला स्पीक एशिया का विरोध करके कुछ नहीं मिला तो सिर्फ और सिर्फ बीस लाख पैनेलिस्तों की बददुआएं जो की उनका विनाश करके ही दम लेगीं !! यह सोच ही है जो की उन्हें  एक  जन नायक  बनने के   बजाय खलनायक बना दिया और वह आज बीस लाख लोगों की निगाह में नफरत का पात्र बन चुके हैं !!
इस बात से ही पता चल जाता है की हमारा दुश्मन कौन है. बात यहाँ पर आकर रुकती है की इनकी सोच को कैसे बदला जाय? यहाँ एक काम हम कर सकते है यैसे भी जयादा वक़्त नहीं बचा है इंतजार की घडिया ख़त्म होने को ऐसे में हम क्यों EXIT  OPTION  का उपयोग करके ये बताये की हम कितने त्रस्त है या निकलने को बेक़रार है.


हम में से एक भी बन्दा इसका उपयोग न करके इनको बता दे की हमें किसी भी तरीके से तोडना या सोल से अलग करना नामुमकिन है तब धीरे धीरे इनकी सोच बदलेगी और जो ये लोग सोल की गंगा में डुबकी लगाना चाहते ही है तो क्यों न पेनलिस्ट बनकर ही कमाया जाय.


मेरी ये सोच है की जब तक सोल की मुख्य साईट न खुल (वैसे भी ज्यादा वक़्त नहीं बचा है ) जाय तब तक हमें कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए.


  

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