बिना पक्षपात
ता : २४ अक्टूबर, २०११
प्रिय श्री हफीज,
मैं आपको All India Speakasia Panelist एसोसिएशन के सचिव की हैसियत से पूरे Speakasian परिवार की ओर से संबोधित करता हूँ.
मैं आपका ध्यान मेरे पहले पत्र की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ ,जो आपका रिपोर्ट “MBA graduate के १४ करोड़ रुपये का Speakasia में नुक्सान “से सम्बन्धित जो टाइम्स ऑफ इंडिया को ९ अगस्त, २०११ में छपी. मुझे लगता है कि आप Speakasia के खिलाफ विशेष रूप से निष्पक्ष कहानियाँ पकाने में व्यस्त हैं और केवल इसी वजह से आप उपरोक्त पत्र का जवाब नहीं दे सकें.
श्री हफीज, क्या मैं पूछ सकता हूँ कहाँ हैं वो १०० से अधिक शिकायतें जिनका आपने लेख में उल्लेख किया था, और कहाँ हैं आपके काल्पनिक MBA graduate श्री शरद यादव, जिन्होंने भारी भरकम १४ करोड़ खो दिए थे. श्री हफीज अब बेवकूफी बंद करो और गंभीर हो जाइए , आप 20 लाख लोगों के कॅरिअर(career ) के साथ खेल रहे हैं.
मैंने आपका ध्यान इस ओर खिंचा था कि ९ अगस्त का सन्देह करने वाला रिपोर्ट आलसी पत्रकारिता का एक नतीजा था और आपका रिपोर्ट गलत जानकारी से भरा था . मैंने मेरा पत्र इस प्रकार समाप्त किया था कि , “भविष्य में ,मैं तुम से अधिक ज्ञानसम्पन्न और संशोधन किये खबरें पढ़ने की उम्मीद रखता हूँ “.
श्री हफीज, आपने मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और अब मैं एक निष्कर्ष पे पहुंचा हूँ, कि आप जैसे कम निष्ठा वाले लोग बदलना नहीं चाहते .आप भ्रष्ट पत्रकारिता का प्रतिक हो .यह बहुत स्पष्ट है कि आप उत्प्रेरित हो और
पूर्णतः
Speakasia online के खिलाफ पक्षपाती हो.मुझे मेरी विचार प्रक्रिया को समझाने के लिए अनुमति दें:
पूर्णतः
Speakasia online के खिलाफ पक्षपाती हो.मुझे मेरी विचार प्रक्रिया को समझाने के लिए अनुमति दें:
१ .क्या आपकी निजी तमन्ना थी एक न्यायाधीश बनने की और ऐसा लगता है कि आपको पत्रकारिता में कैरियर बनाना मजबूरन करना पड़ा . मुझे लगता है कि आप का निजी अरमान है कि आपको माननीय न्यायमूर्ति श्री हफीज के नाम से बुलाया जाए . आपके लिए मेरी सलाह यह है कि ऐसे संभाव्य घटना के सपने देखना बंद करो, न्यायाधीश बनने के लिए मूलभूत आवश्यकता है बुनियादी बुद्धिमत्ता और इमानदारी की और माफी चाहता हूँ के लिए आप दोनों मुद्दों पे खरे नहीं उतरे हैं.
श्री हफीज अब ज़बकि हमने प्रमाणित किया है कि आप न्यायाधीश बनने के लिए योग्य नहीं हैं, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप फैसला न सुनाये जैसा कि आपने २४ अक्तूबर, २०११ की आपकी रिपोर्ट में किया है जब आप अपने हानिकारक लेख को “फ्रॉड फर्म COO यद्यपि जमानत पर गायब हो जाता है ” का अनुशीर्षक देते हैं.
श्री हफीज आप पत्रकारिता के अपने मूल कर्तव्यों को छोड़कर बाकी सब कुछ करने के लिए उत्सुक लग रहे हैं, आप एक अति उत्साही अन्वेषक, बहुत चालाक अभियोजक है, और एक बहुत बीमार न्यायाधीश हैं.
2. आप कह रहे है कि, “तारक बाजपेयी गायब हो गए हैं और हम नहीं जानते कि वह कहाँ है” एक अधिकारी ने कहा. आपने चुप्पी साधी है कि अधिकारी कौनसे एजेंसी से है , मुझे यकीन है कि यह अधिकारी EOW से नहीं हो सकता है क्योंकि वे ऐसे गलत टिका टिप्पणी नहीं कर सकते हैं . मुझे आशा है कि आप अपने कार्यालय कैंटीन के अधिकारी के साथ गपशप नहीं कर रहे है, क्योंकि आप जैसे भ्रष्ट पत्रकार अपना समय कटिंग चाय पीकर बिताते हैं . मैं आशा करता हूँ कि इस बार फिर यह अधिकारी आपके मतिब्रह्मित मन का उत्पाद नहीं है , काल्पनिक MBA ग्रैड श्री शरद यादव (उपर्युक्त पैरा ३ देखें) की तरह.
1.आपके हानिकारक रिपोर्ट के पैरा ४ में आप आगे कहते हैं,”कंपनी का निष्क्रिय वेबसाइट” जैसे कि कंपनी ने वेबसाइट बंद कर दिया है . माननीय. न्यायमूर्ति हफीज साहिब
श्री हफीज वेबसाइट चयन से निष्क्रिय नहीं ,वह निष्क्रिय है क्योंकि व्यवस्थापक अधिकार EOW के साथ हैं और जैसे ही EOW वेबसाइट को कंपनी को लौटा देती है, वेबसाइट पूरी तरह से क्रियाशील हो जायेगी .
२. अब यह लगता है कि आप केवल गलत सूचित नहीं हैं , वास्तव में विकलांग हैं, खासकर जब आंकड़े की बात आती हैं. यह ऊपर संदर्भित ९ अगस्त के आपकी पहली रिपोर्ट से भी स्पष्ट है. और अब भी जब आप का कहना है कि यह मामला १४,००० करोड़ रुपए का हो सकता है . कल्पना की कोई सीमा के तहत यह संख्या इतने तक पहुँच सकती हैं
५ वीं कक्षा की मेरी भतीजी हिसाब कर सकती है कि २० लाख X ११०००/ – , १४००० करोड़ नहीं बन सकते. मैं अब काफी निश्चित हूँ न्यायाधीश साहब कि आप केवल भ्रष्ट नहीं हैं, आप एक आलसी पत्रकार भी है जिसे आसानी से किसी के खिलाफ प्रेरित किया जा सकता है, और अब यह लगता है आप हिसाब के लिए पुरानी गिनतारा (abacus) का उपयोग करते हैं, सरजी एक कैलकुलेटर खरीद लीजिये.
३, वाह,हफीजजी,आप मुझे हैरान कर देते हैं, ‘क्या कमाल का दिमाग पाया है आपने’ वाह, अब आपको कहाँ से यह खबर मिली कि प्रधान कार्यालय मुंबई में था और सिंगापुर में नहीं . श्री हफीजजी आप भूल जाते हैं कि शुरू में आप रिपोर्टिंग कर रहे थे कि इस कंपनी का भारत में न कोई कार्यालय है और न कोई स्थायी संस्था (PE) है, और आप आज की रिपोर्ट में कहते हैं कि १००० से अधिक करोड़ बेईमानी से सिंगापुर भेजे गये ,और अब आप अचानक यह खबर लाते है कि SAOL का अपना प्रधान कार्यालय मुंबई में है.
जज साहब आपकी सोच स्थिर कीजिये
४ . हफीजजी , आप आपके भ्रमक रिपोर्ट का अंत करते हैं यह कहके कि सात अधिकारियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया हैं मैं आप से पूछता हूँ महोदय, वे सात अधिकारी कौन हैं? या एक बार फिर ये सात अधिकारी आपके पक्के बीमार और भ्रमित दिमाग के काल्पनिक पात्र हैं?
श्री हफीज कृपया अपने तथ्यों को सही करें . जमानत की शर्त थी कि सभी संबंधित व्यक्तियों को हर सोमवार और गुरुवार को EOW कार्यालय में उपस्थिथि देनी थी. हालांकि श्री तारक जी अस्पताल में थे और श्री तारकजी को चिकित्सा के आधार पर निजी उपस्थिति से छूट के लिए वकीलों ने आवेदन दायर किया क्योंकि तारकजी का स्वास्थ्य ठीक हो रहा है और उन्हें पूरी तरह आराम की सलाह दी है . वकील निजी उपस्थिति से छूट के लिए नियमित रूप से आवेदन दाखिल कर रहे हैं. यह, किसी भी परिस्थिति में, जमानत कूदने या फरार होने के बराबर नहीं है . श्री हफीज साहब , अपने तथ्यों को रिपोर्ट करने से पहले सत्यापित करें. ओह, मुझे खेद है कि मैं आपको काम करने के लिए कह रहा हूँ , अब हम जान गए हैं कि आप मतिभ्रम पर आधारित रिपोर्ट.करते हैं.
मैंने बार बार दिखाया है कि , आप श्री हफीज के पास एक अधिक उपजाऊ, मतिभ्रमित और एक बीमार दिमाग है . आपको काल्पनिक पात्रों को बनाने की प्रवृत्ति है और आप अल्पकालिक स्मृति खोने की बिमारी से ग्रस्त हैं. आप श्री हफीज बहुत कम निष्ठा के व्यक्ति रहे हैं. मैं पूरे २० लाख Speakasian पैनलइस्ट्स की ओर से आपकी ग़लत साबित खबरों पर मेरी कड़ी आपत्ति दर्शाता हूँ .
मैं सचमुच आशा करता हूँ कि कंपनी SAOL आपकी कंपनी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान पर ध्यान देती है और सलाह से उचित कानूनी कार्यवाही करती है
मैं इस पत्र की एक प्रति मेरे पास रख रहा हूँ , जो एसोसिएशन के वकील की सलाह पर मुझे आपके खिलाफ उपयुक्त मंच में मेरा विरोध और शिकायत दर्ज कराने के लिए उपयोग में लिया जाएगा
हमारी शुबकामनाएं
अशोक बहिरवानी
सचिव
AISPA
अशोक बहिरवानी
सचिव
AISPA
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